साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था
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"साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था" लेनिन द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जो उनके समाजवादी विचारों और सिद्धांतों पर आधारित है। इस पुस्तक में लेनिन ने साम्राज्यवाद और पूंजीवाद के प्रकार, उनके कारण, और उनके विपरीत समाजवादी सिद्धांतों के बारे में विस्तार से विचार किया है। उन्होंने व्यापार, अधिकार, और असमानता के मुद्दों पर भी विचार किया है, जिससे वह समाज में न्याय और समानता के लिए समाजवादी उपायों की आवश्यकता को समझाते हैं। यह पुस्तक सामाजिक और राजनीतिक विचारधारा को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो विश्व इतिहास में साम्राज्यवाद और पूंजीवाद के विपरीत समाजवाद के उद्यमों के प्रेरणा स्थापित करता है।
Publisher | Kamgar Prakashan |
Author's Name | 12 |
Year Of Publication | 2024 |
Language | Hindi |
Hardbound/Paperback | Pb |
Weight | 230 Grams |
Height | 1 Cm |
Width | 14 Cm |
Length | 21.5 Cm |
New/Old | New |
Isbn Code | 978-81-971589-2-6 |
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